चार दोंस्तों की कहानी। Chaar Doston Ki Kahani in Hindi

ये कहानी Panchatantra Stories के आधार पर है। Kids Hindi stories बच्चों को ध्यान मै रख कर बनाई गयी है जो उनमें दोस्ती और विश्वास को की भावना को बड़ती है।

एक जंगल मैं हिरण, कौआ, छछूंदर और कछुआ साथ मैं रहते थे। उनकी आपस मैं बहुत अच्छी दोस्ती थी। इसलिए हर दोपहर वे लगभग निश्चित समय पर एक छायादार बरगद के पेड़ के नीचे मिला करते थे और आपस मैं घंटों बात करते रहते थे।


एक दिन की बात है जब छछूंदर, कछुआ, और कौआ निश्चित समय पर बरगद के पेड़ के नीचे पहुच गये थे परन्तु हिरण अभी तक नहीं पंहुचा था। ये देखकर सभी चिंतित हो थे।

छछूंदर ने तुरंत कौए से कहा, "तुमें उड़कर देखना चाहिए कि हिरण कहां रह गया है।" कौआ अपने सिर को हिलाया और वहां से उड़ गया। कुछ दूर उड़ने के बाद कौए ने देखा के हिरण तो एक शिकारी के जाल में बुरी तरह से फंसा हुआ है! कौआ चिल्लाई "मित्र हिरण! क्या हुआ?"

कौए को देख हिरण की जान मैं जान आ गयी, वह बोला "अक्सर ऐसी जगह पर कदम रखने से पहले मैं सावधान रहता हूँ। लेकिन यह जाल अच्छी तरह से घास मैं छिपा था। और अब मैं फंस गया हु। तुम चले जाओ क्यूंकि शिकारी के यहाँ आने में बस कुछ ही समय शेष बच्चा है।"

कौआ बोला घबराओ मत मित्र "मैं मदद लेकर आता हूँ” और वह उड़ गया। वह तेजी से बरगद के पेड़ के पास आया जहां छछूंदर और कछुआ सबका इंतजार कर रहे थे। उसने सबको हिरन के बारे मैं बताया कि क्या हुआ है।

ये सब सुन कर “छछूंदर ने कछुए से कहा मित्र “तुम यहीं ठहरो” “मैं कौए के साथ जा रहा हु और अपने तेजतरार दांतों से शिकारी के जाल को काट दूंगा" जिससे हमारा दोस्त हिरन बच जायेगा।

कौआ ने छछूंदर को अपनी चोंच से उठाया और उस जगह की तरफ तेजी से उड़ गया, जहाँ हिरण फसा था। ये सब देख कर हिरण बहुत खुश हुआ। छछूंदर ने तेजी से जाल को काटना शुरू किया। हालांकि यह एक कठिन काम था, परन्तु जल्द ही हिरण जाल से मुक्त हो गया। हिरण जैसे ही जाल से बाहर निकला उसने अपने "मित्र छछूंदर का शुक्रिया" किया।

उधर दूसरी तरफ झाड़ियों से आवाज आई “"अह! लगता है हमारा दोस्त आजाद हो चूका है!”। यह वह कछुआ था जो धीरे-धीरे वहां पहुँचा था।

लेकिन समस्या अभी ख़तम नही हुई थी क्यूंकि ठीक उसी समय शिकारी भी वहां पहुँच गया। हिरण तेजी से दौड़ गया, कौआ उड़ गया, मोल ने जल्दी से एक गड्ढा खोद लिया छुपने के लिए, लेकिन कछुआ बहुत धीरे था।

शिकारी को आश्चर्य हुआ कि जाल काट दिया गया है। लेकिन फिर उसकी नजर धीरे-धीरे चलने वाले कछुए पर पड़ी। उसने कहा हालाँकि "मैंने हिरण को खो दिया, लेकिन इस कछुए को पकड़ कर बेच सकता हूँ,” और फिर उसने कछुए को रस्सी से बांध लिया।

ये देख कर कौआ ने चिल्लाया "अरे नहीं! हमने अपने कछुए दोस्त को खो दिया!" लेकिन छछूंदर बोला "नहीं, अब भी आशा है, और उसने मुस्कराते हुए अपने दोस्तों के कान मैं एक योजना फुसफुसाई।

उधर शिकारी कछुए को अपनी पीठ पर लिए हुए अपने गांव की ओर बढ़ रहा था। उसके वह गांव जाने वाला रास्ता एक झील के पास से होकर गुजरता था। झील के पास पहुचने पर शिकारी ने देखा के घास पर एक हिरण का शव पड़ा हुआ है। और एक कौआ हिरण के सींगों पर बैठा है।

ये देख, शिकारी को अपने भाग्य पर यकीन नहीं हो रहा था। उसने कहा "मैंने एक हिरण को तो खो दिया, लेकिन लगता है मैंने दूसरा पा ही लिया है! और सबसे अच्छी बात ये है के मुझे इसे मारने की भी जरुरत नहीं है,"।

ये सब देख कर कछुआ मुस्कुराया क्यूंकि वोह जनता था के उसके दोस्त उसके बचाव के लिए आए हैं।

शिकारी ने कछुए को ज़मीन पर रखा और हिरण की तरफ दौड़ गया। इतने मैं छछूंदर झाड़ियो से बाहर आया और जल्दी से कछुए की रस्सी को काट दिया और जोर से चिल्लाया "मित्र कछुआ, दौड़ो!"

कछुए तेजी से झील की ओर बढ़ गया। इसी बीच, जब शिकारी हिरण के पास पहुँचने ही बाला था तो कौआ "कॉ! कॉ!" कर चिलाया और उड़ गया। क्यूंकि कौआ देख सकता था के कछुआ झील में सुरक्षित पंहुचा के नहीं।

हालाँकि “यह संकेत था” हिरण के लिए जो सुनकर दौड़ा और भाग गया। जिससे शिकारी को उसे पकड़ने का कोई मौका और समय नहीं मिला। और जब शिकारी पीछा करके लौटा तो देखा के कछुआ भी जा चूका है।

दूसरी तरफ चारों दोस्त बरगद के पेड़ की ओर तेजी से बढ़े। वहां पहुचकर कछुआ ने सभी दोस्तों से कहा "मेरी जिंदगी बचाने के लिए धन्यवाद!" दोस्तो।

हिरण ने मुस्करा कर कहा "धन्यवाद की आवश्यकता नहीं है, दोस्त", "जब तक हम एक-दूसरे की मदद करते रहें, हम हमेशा सुरक्षित रहेंगे!"

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