एक दिन कुछ नटखट और
नखरेबाज़ बंदरों ने टोटो पर एक शरारती प्रैंक खेलने का निश्चय किया। उन्होंने कुछ
रसीले फल इकट्ठा किए और उन्हें वहां तट के किनारे छोड़ दिया, जहां टोटो अक्सर
अपनी दोपहर की नींद लेता था। फिर, वे झाड़ियों में छिप गए ये देखने के लिए कि क्या होता है।
जब टोटो उठा और देखा कि
स्वादिष्ट फल रखे हैं, तो वह बहुत खुश हुआ। उसे पता था कि वो फल एक
दुर्लभ खासियत के हैं, और वह इन से खुद को दूर नहीं रख सका। इसलिए वह
खुशी-खुशी उन्हें खाने लगा। बन्दर झाड़ियों मैं छिपे हुए देख रहे थे और हंसी में लिपटे हुए सोच रहे थे कि उन्होंने टोटो
पर बहुत ही बड़ा प्रैंक खेला है।
झाड़ियों में छिपे हुए बन्दर
टोटो की ईमानदारी को सुनकर हैरान हो गए। वे उम्मीद कर रहे थे कि वह इन फलों को
अपने ही समझेंगे।
उल्लू बंदरों के पास वापस
जा कर उनकी हरकत के लिए डाँटने लगे. उन्होंने कहा के टोटो उन फलों को अपना कह सकता
था पर उसने ऐसा नही किया। उन्होंने कहा, "मेरे दोस्तों, ईमानदारी
सर्वोत्तम नीति है। टोटो आसानी से इन फलों को अपने ही बता सकते थे, लेकिन उन्होंने
ईमानदार रहना चुना।"
बंदर अपने प्रैंक के लिए
शरमसार हुए और ईमानदारी के महत्व को समझ गए। वे अपने छिपाने के स्थान से बाहर आए
और टोटो से अपने शरारती कृत्य के लिए माफी मांगी।
टोटो ने युवा बंदरों को
माफ़ कर दिया और उनके साथ मिलकर स्वादिष्ट फलों को साझा किया। उस दिन के बाद से, बंदरों ने
ईमानदारी के मूल्य को सीखा और अपने दैनिक जीवन में इसे अमल करने लगे।
इस घटना के बाद टोटो की
प्रसिद्धि और ईमानदार और बड गयी, और वह सभी जंगल के जानवरों के लिए मार्गदर्शन
और ज्ञान का स्रोत बन गए।
Moral of the Story
कहानी की सीख है कि ईमानदारी सच में सर्वोत्तम नीति है। सत्य और ईमानदारी का पालन करने के साथ आपके आस-पास सभी के लिए एक सकारात्मक उदाहरण सेट चाहिय।
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