यह बात उस समय की है जब एक छोटे से गाँव में आकाश और राजीव नाम के दो दोस्त रहते थे। वे न जाने कितने ही सालों से दोस्त थे और लगभग हर काम को साथ में किया करते थे। उनका सादा सा दोस्ती का मंत्र था, "दोस्त हमेशा एक-दूसरे की मदद करते हैं।"
राजीव थोड़ी देर सोचता रहा और फिर जवाब दिया, "आकाश, यह हमारा नहीं है। हमें
इसके मालिक को खोजने का प्रयास करना चाहिए और लौटाना चाहिए।" इसका मालिक परेशान
हो रहा होगा। हालाँकि आकाश इस विचार से पूरी तरह से सहमत नहीं था। उसने राजीव से कहा, "इसमें इतने सारे पैसे हैं। यह हमारे बहुत काम आ
सकते हैं।"
परन्तु राजीव ने सख्ती से जवाब दिया, "आकाश, हमारे दोस्ती के मंत्र को
याद करो, “दोस्त हमेशा
एक-दूसरे की मदद करते हैं,
और यह मतलब की जो
सही है वही करना चाहिए।“ हमें इस बटुए के मालिक को खोजना चाहिए और उसे लौटाना
चाहिए।
बहुत मुश्किल के बावजूद, आकाश सहमत हो गया। फिर उन्होंने
बटुए के अन्दर देखा ताकि कोई पहचान पत्र मिल सके। उन्हें बटुए के अन्दर एक
ड्राइविंग लाइसेंस मिला जिसमें पता लिखा था। दोनों दोस्तों ने तय किया कि वे उस पत्ते
पर जाएंगे और देखेंगे कि क्या वह मालिक को पहचान सकते हैं।
कुछ दूर पैदल चलने के बाद वे ड्राइविंग लाइसेंस पर
दिए गए पते पर पहुँच गए। वहाँ पहुँचकर, उन्होंने दरवाज़े पर खटखटाया, और देखा की एक चिंतित दिखने वाले एक आदमी ने दरवाज़ा
खोला। ये उसका ही बटुआ था. उसने अपना खोया हुआ बटुआ देखकर दोनों दोस्तों की मदद के
लिए धन्यवाद दिया।
घर वापिस जाते समय आकाश ने राजीव से कहा, "तुम सही थे, राजीव। सही चीज करने का अहसास
अच्छा होता है, चाहे वो कितना भी
मुश्किल ही क्यों न हो।" राजीव मुस्कराया और उत्तर दिया, "यही अच्छे दोस्त बनने का
मतलब है, आकाश। हमने किसी
की मदद की और यह पैसों से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।"
उस दिन के बाद, आकाश और राजीव की दोस्ती मजबूत हो गई क्योंकि
उन्होंने जान लिया कि वे हमेशा एक-दूसरे पर भरोसा कर सकते हैं कि वे सही चीज
करेंगे। उन्होंने यह सीखा कि सच्ची दोस्ती ईमानदारी, विश्वास, और सही चीज करने के आधार पर बनती है, चाहे वो कितनी भी कठिन
क्यों ना हो।
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