कल्पना एक अच्छी छात्रा
थी, और उसकी उसकी
चारों ओर की दुनिया के प्रति उसकी जिज्ञासा की कोई सीमा नहीं थी। वह कड़ी मेहनत की
और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अपनी डिग्री पूरी करने के लिए पूरी तरह समर्पित हो गयी।
वो धरती पर ही नहीं रहना चाहती थी, उसका सपना आसमानों को छूने का था।
उसकी मेहनत फल रंग लायी, जब उसने एक स्कॉलरशिप
प्राप्त की और अमेरिका में अध्ययन करने के लिए जाने का मौका मिला। कल्पना वहाँ
जाकर अपनी पढ़ाई जारी रखी और जल्द ही अमेरिका (United
States) की नागरिकता प्राप्त कर की। उसने अपनी पढ़ाई में भी बेहद
उत्कृष्टता प्राप्त की और विमानन अभियांत्रिकी (Aerospace
Engineering) में उच्च स्तरीय डिग्री प्राप्त की।
1997 में, कल्पना ने अपनी पहली
अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत की जब वह स्पेस शटल कोलंबिया के साथ अंतरिक्ष गईं।
उन्होंने भारतीय मूल की पहली महिला के रूप में अंतरिक्ष यात्रा की, और उनकी उपलब्धि लाखों
दिलों को गर्भान्वित किया। उन्होंने अंतरिक्ष में अपने कार्यों को बखूबी निभाया और
अंतरिक्ष से धरती की खूबसूरती का आनंद लिया।
लेकिन कल्पना का सफर इसके
बाद भी खत्म नहीं हुआ था। 2003 में, वह दूसरी बार स्पेस शटल कोलंबिया के साथ अंतरिक्ष यात्रा पर
निकलीं। दुखद तौर पर, शटल के
पुनर्प्रवेश के दौरान, शटल विघटित हो
गया, और कल्पना चावला, उनके साथी अंतरिक्ष
यात्री, ने अपनी जान गंवा
दी।
हालांकि वह अब हमारे साथ
नहीं हैं, कल्पना की विरासत
जिन्दा है। उन्होंने हमें यह सिखाया कि सपने, चाहे वो कितने भी बड़े क्यों ना हों, मेहनत और संकल्प के साथ
ही पूरे किए जा सकते हैं। उनकी जीवन की कहानी लाखों छोटे लड़कों और लड़कियों को
आकाश की ओर हाथ बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है।
आज, जब अंतरिक्ष यात्री आसमान
की अविस्मरणीय विशालता को देखते हैं, तो वे कल्पना चावला को याद करते हैं, भारत की वह छोटी सी लड़की
जिसने सपने देखने का साहस किया, और जिसने स्पष्ट किया कि आकाश की सीमा नहीं है - यह एक
अद्भुत सफर की शुरुआत है।
तो, बच्चों, कल्पना चावला की कहानी को हमेशा याद रखना। इससे आपको अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा मिलेगी। चाहे वो सपने सितारों को छूने के हो या कुछ और, मेहनत और संकल्प के साथ आप कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं।
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