बात उस समय की है जब तमिलनाडु
के एक छोटे से गांव में एक लड़के का जन्म हुआ था। उसका नाम अवुल पकीर जैनुलाबदीन
अब्दुल कलाम था, लेकिन सब उसे
" ए.पी.जे. " बुलाते थे।
बचपन से ही डॉ. कलाम बहुत
होशियार और उत्साही थे। वह ज्यादा पढ़ाई के शौकीन थे और उनकी ख्वाबों की कोई सीमा
नहीं थी। वे जब भी नई चीजों के बारे में सुनते थे, तो उन्हें उसे समझने की ख्वाहिश होती थी।
डॉ. कलाम का सबसे बड़ा सपना था की वे एक दिन वैज्ञानिक बनें, और भारत के लिए काम करें। वे अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ते गए और कई मुश्किलों का सामना करते गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
एक दिन, डॉ. कलाम को मौका मिला
भारत के राष्ट्रपति बनने का। और वे भारत के 11वें राष्ट्रपति बने और वो बच्चों के लिए महत्वपूर्ण संदेश
लेकर आए।
डॉ. कलाम ने बच्चों को
हमेशा सपने देखने का हौसला दिलाया और कहा, "सपनों का साकार करने के लिए मेहनत करो, क्योंकि सपने हमें
उच्चाईयों तक पहुँचा सकते हैं।"
डॉ. कलाम अपने सपनों को
पूरा करने के लिए मेहनत किए और भारत को गर्वित बनाने में मदद की। उन्होंने दुनिया
को दिखाया कि अगर कोई अपने सपनों के पीछे हो, तो वह कुछ भी कर सकता है।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
ने बच्चों को यह सिखाया कि किसी भी मानव को उसके सपनों का पालन करने का हक है, और मेहनत और समर्पण से वह
सपने पूरे कर सकता है।
0 Comments